चुलबुल बुलबुल राजनंदिनी
आई नानी घर
नाच रहे हैं खेल खिलौने
खुश हो इधर उधर।
मुस्का कर नाना को देखे
बिन बोले बतियाती
नाना की गोदी में चढ़कर
जाने क्या बतलाती।
अभी बोलना सीख रही है
बोल न पाती नानी
नाना को कहती है बाबा
मिसरी जैसी बानी।
“ओ मेरी बेटी की बेटी”
नानी है कहती जब
हंसती खिलखिल भर किलकारी
समझ गई जैसे सब।