कृतियां | Blog

अजय हो

मेरे देश रक्षा हित तेरी रणबांकुरे खड़ेआंधी हो या तूफान हैं फौलाद से अड़ेदुश्मन का इक कदम भी तेरी ओर, गर बढ़ेशिव रूप धर ,दुश्मन का सर ,अर्पित तुझे करेंहे मेरे देश जय तेरी, जय जय ,तेरी जय होतेरा रूप रंग गंध सलामत हो ,अजय हो।।लक्ष्मी हो अबक्का हो जीजा

आंखें।

दहलीज पर ठिठकी गर्व भरी आंखों पर फ़िदा हूं मैं जो गीली हैं गहरे तक पर गर्व से भरी हैं जिनकी कोर पे ठहरे हुए हैं मोती और खुली सीप में दीख रहा है लहराता तिरंगा जिसमें भरी है गंध शहीद हुए अपने की। ढंपे किवाड़ों के बीच छूट गई

मां, तुम रहोगी मेरे साथ

मां!जैसे जैसे मेरी उम्र बढ़ रही हैलगता हैजैसे कि तुम्हारा अक्समुझमें उतरता जा रहा है पूरा का पूरा। कितनी बार मैं वही कहती हूंजो कहती थी तुमऔर अनसुना करती थी मैंचाहे -अनचाहे।आज जब बच्चे करते हैं बहस याकहते हैं मुझे नहीं आता है समझसोचती हूं कितनी अकिंचन थी तुमकितनी शांत

पुनः प्रवास के लिए

नहीं मालूमगठरी में सब बांधक्यूं चला आया था मीलों दूर पैदल ही जिसे देखता ,वही समझाताकोरोना आया है, क्या मालूम बचिहो के नाहिअच्छा रहिए कि अपनो के बीच रहिबे।और ई ऊप्पर वाला समझेजानेबिन सोच बिचारे सबके साथपहुंच ही गया था सही सलामत आपन ठौर। कितने पुलिसिया नाको को पार करकेई

दो चिड़िया

एक पेड़ पर दो चिड़िया हैंपीले पंखों वालीहरी चोंच है, नीली आंखेंउड़ती डाली डाली। सुनो नंदिनी!नई सदी में,रोग नया जो आयाआदम ने खुद न्यौता देकरउसको गले लगाया। रानी बिटिया,राजकुमारी!सुन यह अजब कहानी-समझ सकेगी तू जबबूढ़ी हो जाएगी नानी। तब तक, ये जो दो चिड़िया हैंनीली आंखों वालीनया घोंसला बुन लेंगी,चुन

राजनंदिनी आई नानी घर

चुलबुल बुलबुल राजनंदिनीआई नानी घरनाच रहे हैं खेल खिलौनेखुश हो इधर उधर। मुस्का कर नाना को देखेबिन बोले बतियातीनाना की गोदी में चढ़करजाने क्या बतलाती। अभी बोलना सीख रही हैबोल न पाती नानीनाना को कहती है बाबामिसरी जैसी बानी। “ओ मेरी बेटी की बेटी”नानी है कहती‌ जबहंसती खिलखिल भर किलकारीसमझ

कोरोना जानता है तू

सुना था-जो आया है वो जाएगा,यहां कोई अमर नहीं।पढ़ा था-मृत्यु अटल सत्य है।समझा था-राजा राणा छत्रपति हाथिन के असवारमरना सबको एक दिन अपनी-अपनी बार।जाना था-शरीर और आत्मा का भेद विज्ञानकर्म सिद्धांत। किंतु रहस्य ही रहे,मृत्यु से छिपकर उससे बचने के उपाय ।वर्तमान में उद्घाटित्इस रहस्य से अभिभूत हुई मैं भीनजरबंद